शाकाहारी होकर मांसाहारी रेस्तरां होटलों में भोजन क्यों करते हो?🤔
यहां मैं सबको दोषी नहीं ठहरा रहा हूं| लेकिन मैं उन शाकाहारियों से प्रश्न पूछ रहा हूं कि अगर आप सही रूप में शाकाहारी हैं, मतलब की आप vegetarian हैं जिसमे आप मीट और अंडा भी नहीं खाते हैं| मैं ऐसे शाकाहारियों की बात कर रहा हूं|
आप कैसे उन प्रतिष्ठानों में प्रवेश कर सकते हैं जहां के एक ही किचन में मीट और शाकाहार भोजन एकसाथ पकने के पश्चात टेबल पर परोसा जाता है? ऐसी जगहों से आप ऑनलाइन भोजन भी ऑर्डर करते हैं| कहना यह है: “शाकाहारी होते हुए केवल शाकाहार रेस्तरां से ही ऑर्डर या वहां जाकर भोजन क्यों नहीं करते हैं?
मान लीजिए एक ठीक-ठाक अच्छा रेस्टोरेंट है| वहां पर वो intercontinental भोजन परोसते हैं| मतलब सब तरीके के भोजन एक ही जगह उपलब्ध होते हैं| वहां मीट भी मिल रहा है और शाकाहारी पकवान भी| ऐसे भोजन को रेस्टोरेंट के एक ही किचन में निर्मित किया जाता है| रेस्टोरेंट में हम और आप जब भीतर दाखिल होते हैं तो हम वहां की रसोई को सीधे रूप से देख नहीं सकते हैं लेकिन हमें यह अवश्य पता है कि जिस रेस्टोरेंट में हम जा रहे हैं उसमें स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि यहां पर उसके मेनू में मीट और वेजिटेरियन फूड साथ में मिलते हैं या नहीं|
आगे बढ़ते हुए……
मेरे मस्तिष्क में एक विचार चल रहा है काफी समय से कि अगर कोई व्यक्ति सही रूप से शाकाहारी है तब ऐसी स्तिथि में वह उस रेस्तरां या होटल में कैसे प्रवेश कर सकता है और शाकाहारी भोजन ऑर्डर कर सकता है| यह कहना, “आप मेरे लिए वो मीट मत लाएं बस मेरे लिए भिंडी और पनीर की सब्जी ले आइए”! ऐसे समय उसके दिमाग में यह point क्यों नहीं आता है कि जिस रसोई से उनकी जो भिंडी और पालक पनीर आएगी दाल आएगी वहीं उसी के बाजू में गोश्त भी पक रहा होगा| मतलब मटन भी है चिकन भी है और पता नहीं कौन-कौन से किस्म का मीट पकवान वहां पर निर्मित हो रहा होगा| आपकी बगल की टेबल में मीट परोसा जा रहा है और आप अपनी टेबल में vegetarian फूड बड़े चाव से ग्रहण कर रहे हैं| जबकि दोनो व्यंजन एक ही रसोई से लाए जा रहे हैं| किया उचित है?
इस लेख के साथ वीडियो attach कर रहा हूं शाकाहारी होकर मांसाहारी रेस्तरां होटलों में भोजन क्यों करते हो?🤔 वीडियो के अंत में छोटी सी एक news clip है रायपुर नागर की| फरवरी 2025 में यहां एक बड़ा हादसा हुआ जैनी भाई के साथ| जी, जैन व्यक्ति के साथ! और सोशल मीडिया पर काफी हल्ला मचा जो घटना उनके साथ घटित हुई| यह जैन व्यक्ति रायपुर के जिस होटल में भोजन करने गए परिवार समेत वहां buffet पर रखे हुए भोजन में जो मीट वाला फूड था उस पर लेबल लग गई थी वेजिटेरियन की और वह जैन व्यक्ति गलती से वेजिटेरियन मतलब मीट आइटम को शाकाहारी समझ के उन्होंने खा लिया और जब उनको मालूम पड़ा तो वह बहुत भड़के चीखे चिल्लाए और वहां के स्टाफ पर गुस्सा हुए| पूरा प्रकरण विडियो में देखिए|
यह विषय उन समस्त शाकाहारियों के लिए महत्वपूर्ण हैं चाहे वह जैन हों या हिंदू सनातन समाज के अनुयाई जहां बहुत बड़ी लाखों करोड़ों की संख्या में लोग अभी भी शाकाहारी हैं और साथ में अन्य धर्म समाज के अनुयाई भी इसके पात्र हैं| क्योंकि शाकाहारी कोई भी व्यक्ति हो सकता है| सिख समाज में भी बहुत बड़ी संख्या में शाकाहारी होते हैं| इसमें वह भी सम्मिलित हैं जो अन्य धर्म या religion को मानते हैं या नास्तिक हों|
अब इन सब लोगों को मैं संबोधित करके पूछना चाहता हूं कि अगर आप सही में सच्चे शाकाहारी हैं (धर्म को एक बार अलग कर दीजिए) और किसी प्रतिष्ठान के रसोई में मीट एवं शाकाहारी भोजन एक साथ निर्मित हो रहा है जहां पर पशु कट रहे हैं या उनका मांस लाया जा रहा है मांस बन रहा है और आपका शाकाहारी भोजन भी वहीं बन रहा है| ऐसी स्तिथि में एक शाकाहारी व्यक्ति कैसे जाकर वहां पर भोजन ग्रहण कर सकते हैं और कह सकते कि मैं pure vegetarian हूं?
तनिक logically scientifically सोचिए क्या यह उचित thought & action है?
जैनियों को कट्टरता के लिए जाना जाता है| यह बहुत strict होते हैं| यह बहुत pure वेजिटेरियन की जगह ही जाते हैं| जब तीर्थ यात्रा में जाते हैं तो अपनी भोजनशाला में भोजन करते हैं और बाकी जगह देश में भी जब यह कुछ भी खाते पीते हैं यह वेजिटेरियन स्थानों में ही जाते हैं| लेकिन अभी के समय चाहे वह जैन हो या चाहे वो सनातनी हिंदू परिवार से हों या वह अपने सिख समाज के हो या किसी भी वेजिटेरियन समाज के जो लोग हैं उनके बहुत सारे high % में लोग जाने अनजाने भौतिकवाद की चका चौध में जो आजकल फूड इंडस्ट्री में जो एक बहुत बड़ा बूम आया हुआ है उसके अंतर में वह कहीं पर इन जगहों में जाकर जहां मीट भी बन रहा है वेजिटेरियन भी बन रहा है वहां पर जाकर यह शाकाहारी भोजन ऑर्डर करते हैं और बताइए जो जन साब के साथ जो रायपुर में जो कांड हुआ यह किसी भी सनातनी हिंदू भाई बहन के साथ हो सकता या किसी भी धर्म के या किसी भी रिलीजन के व्यक्ति के साथ हो सकता है|
जो वेजिटेरियन मन से हुआ है वह कैसे उस जगह जा सकता है कि जहां पर पशु हत्या हो रही है मीट prepare हो रहा है| भले ही आपके vegetarian मूल्यों के against है और तब भी वहां पर जाके आप शान से कह रहे हैं कि वेजिटेरियन फूड ऑर्डर करो| रायपुर में जो किस्सा हुआ वैसा ही प्रकरण देश के अन्य क्षेत्रों में प्राय घटित हो रहे हैं| सोशल मीडिया पर बड़ा लोग चिल्लाते हैं की ऐसी स्तिथि में सरासर गलती रेस्टोरेंट वाले की है, उसने क्यों हमें ये गलत food order या परोस दिया| ऑनलाइन food ordering में अक्सर देखा गया है ऑर्डर किया जाता है शाकाहारी भोजन और deliver हो गया मांसाहारी| कैसे? क्योंकि बड़ी संख्या में शाकाहारी लोग मांसाहारी होटल रेस्तरां छोटी दुकानों से vegetarian food order करते हैं|
जब मुझे पता है कि कोई एक खाने की जगह है जहां पर मीट भी बन रहा है और वेजिटेरियन भी बन रहा है तो वहां से मैं vegetarian फूड ऑर्डर कर ही क्यों कर रहे हो? मेरा यह प्रश्न आप सब भारत के नागरिकों से है जो शाकाहारी हैं|
मैं किसी अन्य को दोषी नहीं बनाना चाहता हूं मेरा तो सिर्फ एक यही प्रश्न है कि कैसे आप शाकाहारी values के साथ समझौता कर सकते हैं? और आप धड़ल्ले से luxury के नाम पर modernity के नाम पर आप ऐसे जगह पर जाकर भोजन ऑर्डर करते हैं, अपने बच्चों को लेकर जाते हैं पत्नी को लेकर जाते हैं फैमिली के साथ माता-पिता के साथ फ्रेंड्स के साथ|
आए दिन मैं देखता हूं लाखों की संख्या में ऐसे शाकाहारी जो शान से नॉनवेज की जगह जाते हैं और वहां से वेजिटेरियन फूड order करते हैं और फिर कहते कि हम वेजीटेरियन है| हास्यास्पद नहीं लगता?
जिसको जो खाना है खाओ मैं कुछ नहीं कह रहा हूं उसके लिए| खाने की पूर्ण स्वतंत्रता है इस देश में| आपको जो खाना है खाइए!
विडियो लिंक: शाकाहारी होकर मांसाहारी रेस्तरां होटलों में भोजन क्यों करते हो?🤔
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