स्वतंत्रता संग्राम में जैन: सेनानी अमरचंद बांठिया (जैन)

भारतवर्ष का प्रथम सशस्त्र स्वाधीनता संग्राम 1857 ई0 में प्रारम्भ हुआ था। इसे स्वाधीनता संग्राम की आधारशिला कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस संग्राम में जहाँ महारानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, मंगल पांडे आदि शहीदों ने अपनी कुर्बानी देकर आजादी का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं सहस्रों रईसों और साहूकारों ने अपनी तिजोरियों के मुंह खोलकर संग्राम को दृढता प्रदान की । तत्कालीन ग्वालियर राज्य के कोषाध्यक्ष अमर शहीद अमरचंद बांठिया ऐसे ही देशभक्त महापुरुषों में से थे, जिन्होंने 1857 के महामसर में क्रान्तिवीरों को संकट के समय आर्थिक सहायता देकर मुक्ति संघर्ष के इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया। अमरचंद बांठिया के पूर्वज बांठिया गोत्र के आदि पुरुष श्री जगदेव पंवार (परमार) क्षत्रिय ने 9-10वीं शताब्दी ( एक अन्य मतानुसार जगदेव के पुत्र या पौत्र माधव देव / माधवदास ने 12वीं शताब्दी) में जैनाचार्य भावदेव सूरि से प्रबोध पाकर जैन धर्म अंगीकार किया था और ओसवाल जाति में शामिल हुए थे। कुछ इतिहासकार विक्रम की 12 वीं शताब्दी में रणथम्भौर के राजा लालसिंह पँवार के पुत्रों द्वारा जैनाचार्य विजय बल्लभ सूरि से प्रतिबोध ...