समाचार: गिरनार जी जैन तीर्थ क्षेत्र पर संसद में आवाज उठी

 






02/12/2024

विषय: गिरनार जी तीर्थ क्षेत्र पर संसद में आवाज उठी

गिरनार जी तीर्थ क्षेत्र मुद्दे पर सहारनपुर से लोकसभा सांसद इमरान मसूद ने लोक महत्व के इस विषय पर शून्य काल में संज्ञान लेने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को दिया नोटिस। नोटिस स्वीकार हो गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता माननीय राहुल गांधी की सहमति है। 

’आदरणीय सभापति महोदय,’  

आज मैं सदन का ध्यान एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। यह न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि अल्पसंख्यक जैन समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर व अधिकारों की सुरक्षा का भी प्रश्न है।  

माननीय महोदय, गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित पवित्र गिरनार पर्वत भारतवर्ष के प्राचीनतम धर्म, जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की मोक्षस्थली है। भगवान नेमिनाथ की निर्वाण भूमि, जिसे सदियों से जैन धर्मावलंबी श्रद्धा और आस्था से पूजते आए हैं, आज वहां जबरन कब्जा किया जा रहा है।  

 अकबरनामा जैसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक ग्रंथ, ब्रिटिश कालीन रिपोर्ट्स, ए एस आई रिपोर्ट्स और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज यह साबित करते हैं कि गिरीनार पर्वत जैन धर्म का बेहद प्राचीन तीर्थस्थल है।  इस विषय में गुजरात हाई कोर्ट ने भी स्पष्ट निर्देश दिया है कि जैन धर्मावलंबी वहां शांति से पूजा-अर्चना कर सकते हैं। 

1991 में पारित उपासना स्थल कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन, कानून का उल्लंघन करते हुए कोराना काल में में एक रात में चुपचाप वहां पर अन्य धर्म की मूर्ति स्थापित करा दी गयी। गिरीनार में जैन तीर्थस्थल को बिना वजह विवादों में घसीटा जा रहा है।  

सभापति महोदय, जैन समुदाय, जो देश का एक शांतिप्रिय और अल्पसंख्यक वर्ग है, उनके साथ इस प्रकार का अन्याय हमारी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिह्न लगाता है। स्थानीय जूनागढ़ प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण ही ऐसे तत्व बढ़ावा पा रहे हैं। 

सभापति महोदय, मैं इस सदन के माध्यम से मांग करता हूं कि  अल्पसंख्यक जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थलों गिरीनार जी, शिखरजी, पालिताना जी, और अन्य जैन तीर्थस्थलों की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ”जैन तीर्थस्थल संरक्षण बोर्ड“ बनाया जाये। 1991 के उपासना स्थल कानून का सख्ती से पालन किया जाए। धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर कब्जा करने वाले असामाजिक तत्वों और इसमें शामिल प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।  

सभापति महोदय, भारत विविधताओं में एकता का देश है। यहां हर समुदाय और हर धर्म का सम्मान होना चाहिए। जैन समाज, जो अहिंसा और शांति का प्रतीक है, को न्याय दिलाना और उनकी आस्थाओं की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। यह सिर्फ जैन समाज की नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय विरासत और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का प्रश्न है।  


धन्यवाद।


लेखक                                                                                                                                                          विपिन जैन, दीनानाथ बाजार, सहारनपुर। 


स्त्रोत: सोशल मीडिया





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