जैन समाचार: गुजरात स्थित जूनागढ़ में जैन तीर्थ क्षेत्र गिरनार जी की पांचवी टोंक पर विवादित अनेतिक अतिक्रमण का मुद्दा उठाया श्री अखिलेश यादव ने
लेखक: *एडवोकेट खिल्लीमल जैन, अलवर (राज.)
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समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश जी यादव की गिरनार पहाड़ पर स्थित दिगंबर जैन धर्म की प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर के प्रति चिंता का सम्पूर्ण दिगंबर जैन समाज सम्मान करता है। उनसे सादर सविनय निवेदन है कि जैन धर्म और समाज की इस प्राचीन ऐतिहासिक धार्मिक धरोहर के विषय में समाज को न्याय दिलाने के लिए सभी दलों का सहयोग के लेकर संसद में हर संभव दृष्टि से संसदीय परंपराओं के आधार पर उठाने की पहल करने की अनुकंपा कर अनुग्रहित करें।
गिरनार पर्वत की पाँचवीं टोंक पर स्थित जैन धर्म के 22 वे तीर्थंकर, भगवान कृष्ण के चचेरे भाई श्री नेमिनाथ जी की निर्वाण भूमि, मुक्ति स्थल है। उस स्थान पर प्राचीन काल से उनके पाषाण में उत्कीर्ण चरण चिह्न और पाषाण में उत्कीर्ण मूर्ति भी स्थापित हैं। जैनधर्म की ऐतिहासिक प्रमाणित धरोहर की रक्षा के लिए सभी राजनैतिक दलों का सहयोग-सहकार का और सुझावों का स्वागत है।
✍️🇳🇪✍️भारत देश में संविधान का शासन है। इस सैकड़ो वर्ष पहले यदि हिन्दू मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है तो उनका पुरातत्व सर्वे चल रहा है। गिरनार पहाड़ पर तो प्रत्यक्ष रूप से जैन प्रतिमाएं एव मंदिर और चरण-चिह्न विराजमान है जिसके पौराणिक मुगलकालीन अंग्रेजी शासन सहित आजाद भारत के प्रथम दृष्टया साबित साक्ष्य भी मौजूद है। गिरनार पर्वत की पांचवीं टोंक और दूसरी तीसरी व चौथी टोंकों पर अन्य मतावलंबियों के अवैधानिक कब्जा से विमुक्ति कब होगी ? जिनके जैन समाज को दर्शन-वंदन भी नही मिल पा रहे हैं। उस पर सभी पक्ष चुप क्यों है ? गिरनार जी पहाड़ जैन प्रतिमाएं और मंदिर और चरण चिह्नों के विराजमान होने के बावजूद जैन समाज को दर्शन नहीं मिलना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। यह मुद्दा न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए भी महत्वपूर्ण है ।
गिरनार पर्वत का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यहां की पाँचवीं टोंक पर जैन धर्म के 22वें तीर्थकर नेमीनाथ का मंदिर आदि स्थित है, जो कि जैन समाज के लिए अत्यंत ही पवित्र स्थल है ।
इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखना उचित नहीं है। जैन समाज और अन्य धर्मों के लोगों को इस मुद्दे पर आवाज उठानी चाहिए और सरकार से मांग करनी चाहिए कि गिरनार पर्वत पर स्थित जैन मंदिरों और प्रतिमाओं को भी सर्वे सर्वेक्षण कर संरक्षित किया जाए और जैन समाज को उसके धार्मिक और संवैधानिक अधिकार अनुसार दर्शन की अनुमति दी जाए। अधिकार मिलना चाहिए।
यह मुद्दा न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे पर सभी पक्षों को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए और सरकार से मांग करनी चाहिए कि गिरनार पर्वत पर स्थित जैन मंदिरों और प्रतिमाओं को संरक्षित कर जैन समाज के सुपुर्द किया जाए।
भवदीय
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