जिसकी लाठी उसकी भैंस Might is Right : धार्मिक स्थलों की सुरक्षा
प्राचीन काल से ही नहीं, बल्कि आज भी का सञ्चालन उक्त युक्ति के आधार पर ही हो रहा है । लेकिन दुर्भाग्य से हम जैनी लोग अभी भी अपने सपनों में ही डुबे हुए हैं !!! हमें आने वाले खतरे नजर नहीं आ रहे हैं ??? गत कुछ माह पूर्व ही वीले पार्ले, मुंबई के जिन-मंदिर को कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा सुनियोजित षड्यंत्र द्वारा अन्यायपूर्ण तरीके से तोड़े जाने एवं 02 जुलाई,2025 को गिरनारजी की सामूहिक यात्रा के समय, हमारा अपना तीर्थ क्षेत्र होने पर भी कितनी प्रतिबंधता एवं कठिनाइयों के बीच हम यात्रा कर सके ???, यह सब इस बात का प्रमाण है कि जब तक हम संगठित होकर अपने अधिकारों के प्रति जागृत नहीं होंगे, तब तक निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा नियोजित षड्यंत्रों द्वारा हमारी कमजोरी का फायदा उठाया जाता रहेगा। तो हमें यह समझना होगा कि प्रश्न चाहे गिरनारजी का हो, या शिखरजी का या पालीताना का ? ? ? अंतरिक्ष पार्श्वनाथ का या कुण्डल का ??? श्वेताम्बर का या दिगंबर का ??? तेरा पंथ का या बीस पंथ का ??? हमें सभी भेद भाव भुलाकर संगठित होकर संकीर्णता छोड़कर अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए सजग होना पड़ेगा। धार्मिक स्थल रहेंगे तो धर्म रहेगा !!!
वर्तमान राष्ट्रीय नीति : सभी धार्मिक स्थलों की परिसंपत्ति / भूमि जो भी है, वह राष्ट्र की संपत्ति है !!!
वर्तमान में मंदिरों-मस्जिदों की परिसंपत्तियों को लेकर होने वाले विवाद के मामलों को लेकर सरकार गंभीर है। मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण करने के पश्चात् यदि वे उपलब्ध डाक्यूमेंट्स के द्वारा अपनी मालकियत सिद्ध नहीं कर पाये, तब शासन द्वारा उन्हें अधिग्रहण करने की सम्भावना है।
अतः विषय की गंभीरता एवं महत्व को समझते हुए वर्ष 2021 में केवडिया (गुजरात) में संपन्न 13 वें वार्षिक अधिवेशन में उपरोक्त विषयों पर जन-जागरूकता निर्माण करने के लिए जैन इंजीनियर्स सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा "धार्मिक स्थलों के दस्तावेज एवं अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के बारे में जन-जागरूकता समिति" का गठन किया गया था । इसके अंतर्गत देश की सभी धार्मिक संस्थाओं / जिन-मंदिरों से प्राथमिक जानकारी प्राप्त करने के लिए एक प्रारूप बनाया गया था । परिणाम स्वरुप वर्ष 2023 में उदयपुर प्रकोष्ठ के मंत्री ई. आर. इस . सिंघवी द्वारा निर्धारित प्रारूप में 11 संस्थाओं से जानकारी प्राप्त कर
साथ ही पुणे के जिन-मंदिरों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पुणे में गठित कमिटी द्वारा उन्हें भी उचित मार्गदर्शन प्रदान किया गया था। इस परियोजना को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से 30 मई,2025 को संपन्न JESF बोर्ड की मीटिंग में विस्तृत चर्चा के पश्चात JESF के महामंत्री श्री प्रेमचंदजी छाबड़ा ने विशेष रूचि लेकर इस कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया है, हार्दिक धन्यवाद एवं अभिनन्दन !|| उनके मार्गदर्शन में श्री मनोज जी जैन ने व्यक्तिगत रूचि लेकर जयपुर स्थित निम्न जिन-मंदिरों की जानकारी निर्धारित प्रारूप में प्राप्त कर इस परियोजना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, हार्दिक धन्यवाद एवं अभिनन्दन !!!
1. श्री पार्श्वनाथ दिग.जिन मंदिर,C-स्कीम,जयपुर
2. दिग.जिन मंदिर ट्रस्ट,मालवीय नगर,जयपुर
3. श्री चन्द्रप्रभु जिनालय, रामगंज बाजार, जयपुर
4. श्री दिग.जिन मंदिर,यति यशोदानन्दजी, चौड़ा रास्ता, जयपुर
उपरोक्त सभी मंदिरों द्वारा प्रदत्त जानकारी से ऐसा प्रतीत होता है कि लगभग सभी जिन-मंदिरों में डिजिटाइजेशन तथा तकनिकी उन्नयन (Technological Upgradation) विषय पर काफी अनभिज्ञनता होने के कारण उनको उचित मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है । अतः सभी सम्बंधित प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों से निवेदन है कि वे अपने यहाँ के सदस्यों / तकनिकी विशेषज्ञों की स्थानीय कमिटी गठित कर ऐसे सभी जिन-मंदिरों के पदाधिकारियों / विश्वस्तों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करें । यदि आवश्यकता हुई तो परोक्ष्य (e) मीटिंग के माध्यम से हमारी सेवाएं भी प्रदान करने में हमें प्रसन्नता होगी।
एक और महत्वपूर्ण सुझाव है कि JESF के श्रेष्ठीगण अपने सामाजिक संबंधों के कारण अवश्य ही किसी-न-किसी अन्य दूसरी राष्ट्रिय संस्था से जुड़े होंगे । अतः उनके प्रयत्नों से ऐसी सभी संस्थाओं के साथ मिलकर इस महत्वपूर्ण परियोजना को हम आगे बढ़ा सकते हैं ।
पुनःश्च हार्दिक अभिनन्दन एवं धन्यवाद के साथ,
निवेदक,
ई.(डॉ.)प्रकाश जैन बड़जात्या, औंध, पुणे
अध्यक्ष : JESF धार्मिक स्थलों के दस्तावेज एवं अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के बारे में जन-जागरूकता समिति
(9850630326/pbarjatia@gmail.com)

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