दान पहले घर से शुरू करें।

(Charity begins from home) मन्दिर में दान देने से पहले देखें कि अपने बंधु, स्वधर्मी बन्धु अथवा पड़ोसी को इसकी ज़रूरत तो नहीं हैं ? अभी हाल ही में मैने सोशल मीडिया में एक दिगम्बर आचार्यश्री का , जैन दर्शन, समाज और संघ के हित में , अत्यंत ही प्रेरणादायक वीडियो सन्देश देखा। आचार्यश्री जी ने अपने उस वीडियो सन्देश में कहा कि यदि आपके पास दान करने के लिए धनराशि हो तो, उसे सबसे पहले अपने जरुरतमंद भाई अथवा स्वधर्मी बन्धु की सहायता के लिए देने का प्रयास करे। इस सन्दर्भ में उन्होने एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक श्रावक ने उनसे निवेदन किया कि वह ग्यारह लाख रुपये मन्दिर में दान करना चाहता है। तो आचार्यश्री ने उन्हे सुझाव दिया कि मन्दिर से ज्यादा आवश्यकता अपने किसी भाई अथवा स्वधर्मी बन्धु को तों नहीं हैं? इसलिए सर्वप्रथम वह अपने बग़ल में झाँककर देखे की उसके परिचित को पैसे की ज़रूरत तो नहीं हैं ? तब उस व्यक्ति को खयाल आया कि उसका सगा भाई ही निर्धन अवस्था में हैं और अपना जीवन यापन बड़ी मुश्किल से कर रहा है। उस व्यक्ति ने अपने भाई को पर्याप्त धनराशि देकर उसके व्यवसायिक प्रतिष्ठान को सुचारू रूप स...