उत्तम कर्म की परिभाषा



उत्तम कर्म 🌼🌼

🌼"संसार के लोगों पर जैसे जैसे भौतिकवाद या भोगवाद का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, वैसे वैसे लोग तनाव चिंता भय मोह माया लोभ क्रोध चिड़चिड़ापन पागलपन आदि रोगों के शिकार होते जा रहे हैं। ये समस्याएं संसार के सभी देशों में लगातार बढ़ रही हैं।"


🌼"आज से 30 40 वर्ष पहले लोगों के पास धन संपत्ति मकान मोटर गाड़ी अच्छी सड़कें बिजली रेडियो टेलीविजन कंप्यूटर मोबाइल फोन इत्यादि साधन या तो नहीं थे, या बहुत कम थे। परंतु तब लोग सुखी अधिक थे।"

🌼"पिछले 30 40 वर्षों में ये भौतिक संसाधन तो लोगों के पास बहुत मात्रा में बढ़ गए हैं, परंतु उस अनुपात में सुख नहीं बढ़ा, बल्कि सुख तो कम ही हुआ है। और चिंता तनाव आदि दोष या मानसिक रोग अधिक बढ़ गये हैं।" "कुछ गंभीरता से विचार करना होगा, कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?"

🌼कहीं ऐसा तो नहीं, कि "जिन धन संपत्ति आदि भौतिक साधनों को लोगों ने स्थाई सुख का साधन मान लिया है, वास्तव में वे स्थाई सुख के साधन नहीं हैं!" "वे साधन तो मात्र जीवन रक्षा करने के साधन हैं, स्थाई सुख के नहीं।" "जब वे स्थाई सुख के साधन हैं ही नहीं, और लोग उनकी प्राप्ति में दिन रात डूबे हुए हैं, तो परिणाम उल्टा ही आएगा, जैसा कि आ चुका है।" "अतः फिर से गंभीरता से विचार चिंतन मनन करना होगा, कि भूल कहां पर हो रही है?"

🌼वास्तव में स्थाई सुख शांति आनन्द का भंडार तो ईश्वर है। "सर्वव्यापक निराकार सर्वशक्तिमान न्याय कारी आनन्द स्वरूप ईश्वर की उपासना करना, तथा व्यवहार में ईश्वर के आदेश का पालन करना, वेदों का अध्ययन करना, माता-पिता की सेवा करना, बड़ों का आदर सम्मान करना, अनुशासन में रहना, सभ्यता से सारे कार्य करना आदि, इस प्रकार के जो सुख प्राप्ति के मुख्य साधन थे, वे तो छूट गए। इसीलिए यह दुष्परिणाम सबको भोगना पड़ रहा है।"

🌼अतः पुनर्विचार करें, "जो ऊपर बताए वास्तविक सुख प्राप्ति के साधन थे, उन्हें फिर से अपनाएं। और जो भौतिकवाद या भोगवाद आदि दुख बढ़ाने वाले कारण हैं, इनसे सावधान रहें।" "इन्हें नियंत्रित करें। नियंत्रित रूप से केवल जीवन रक्षा मात्र के लिए इनका प्रयोग करें। अनियंत्रित रूप से इनका सेवन करना ही आज के इस बढ़ते हुए दुख का बहुत बड़ा कारण है।"

🌼"जो व्यक्ति ऊपर बताए उत्तम कर्मों का आचरण करेगा, वह स्वस्थ सुखी आनंदित एवं प्रसन्न जीवन जी सकेगा।" "और जो ऊपर बताए उत्तम कर्मों का आचरण नहीं करेगा, अंधाधुंध भौतिकवाद या भोगवाद में डूबा रहेगा, उसका जीवन खतरे में है। वह चिड़चिड़ा हो जाएगा। क्रोधी लोभी अभिमानी और पागल हो जाएगा।"

🌼"अतः इन दोषों और समस्याओं से बचने के लिए, ऊपर बताए सुख प्राप्ति के असली उपाय अपनाएं।"🌼

🌼आपका जीवन मंगलमय हो🌼
🌼आपका मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो🌼



स्रोत: विद्या पूर्ण धर्म प्रभावना|

Comments

Popular posts from this blog

जैन जातियां - उनके 84 नाम|

कश्मीरी पंडित मूलरूप से जैन धर्मावलंबी थे - डॉ. लता बोथरा

Dr.Murli Manohar Joshi thoughts on Jain Religion relationship with Kumbh (कुम्भ) at Prayagraj.