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स्वतंत्रता संग्राम में जैन: सेनानी सिंघई प्रेमचंद जैन

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दमोह ( म०प्र०) जिले के एक छोटे से ग्राम सेमरा बुजुर्ग में उस दिन प्रेम की बरसात होने लगी, सारे गांव में सुख छा गया, जिस दिन भारतमाता से प्रेम करने वाले अमर शहीद प्रेमचंद का जन्म सिंघई सुखलाल एवं माता सिरदार बहू के आंगन में हुआ । सिंघई प्रेमचंद जैन बचपन से ही उत्साही, लगनशील, निर्भीक, प्रतिभाशाली एवं होनहार युवक थे। सुखलाल जी की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। फिर भी बालक प्रेमचंद को उन्होंने प्राथमिक शिक्षा के बाद माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ने के लिए दमोह के महाराणा प्रताप हाईस्कूल में भेज दिया। दिसम्बर 1933 में पूज्य महात्मा गांधी का दमोह नगर में आगमन हुआ । प्रेमचंद 16 कि0मी0 चलकर उनका भाषण सुनने दमोह आये, कहते हैं इसके बाद वे लौटकर गांव नहीं गये और दमोह में ही आजादी के महायज्ञ में कूद पड़े। जंगल सत्याग्रह, विदेशी कपड़ों का बहिष्कार, मादक वस्तुओं के विक्रय केन्द्रों पर धरना, नमक सत्याग्रह, झण्डा फहराना आदि साहसिक कार्यों में भाग लेने के परिणामस्वरूप सिंघई जी को स्कूल से निकाल दिया गया। तब आप खादी - प्रचार, अछूतोद्धार और गांव-गांव में डुग्गी बजाकर गांधी जी के सन्देशों का प्रचार करने लगे...

स्वतंत्रता संग्राम में जैन: सेनानी मोतीचंद शाह (जैन)

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 भारतीय स्वातन्त्र्य समर का मध्यकाल था वह, उन दिनों 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' और 'इंकलाब जिन्दाबाद' जैसे नारे तो दूर 'वन्दे मातरम्' जैसा सात्विक और स्वदेश पूजा की भावना के प्रतीक शब्द का उच्चारण भी बड़े जीवट की बात समझी जाती थी। जो नेता सार्वजनिक मंचो से 'औपनिवेशिक स्वराज्य' की माँग रखते थे, उन्हें गर्म दल का समझा जाता था और उनसे किसी प्रकार का सम्पर्क रखना भी खतरनाक बात समझी जाती थी । ऐसे समय में प्रसिद्ध क्रान्तिकारी श्री अर्जुन लाल सेठी अपनी जयपुर राज्य की पन्द्रह सौ रुपये मासिक की नौकरी छोड़कर क्रान्ति - यज्ञ में कूद पड़े। उन्होंने जयपुर में वर्धमान विद्यालय की स्थापना की। कहने को तो यह धार्मिक शिक्षा का केन्द्र था किन्तु वहाँ क्रान्तिकारी ही पैदा किये जाते थे। 'जिस विद्यालय का संस्थापक स्वयं क्रान्तिकारी हो उस विद्यालय को क्रान्ति की ज्वाला भड़काने से कैसे रोका जा सकता है। ' सेठी जी एक बार 'दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभा' के अधिवेशन में मुख्य वक्ता के रूप में महाराष्ट्र के सांगली शहर गये। वहाँ उनकी भेंट दो तरुणों से हुई। एक थे श्री देवचन्द्र,...

स्वतंत्रता संग्राम में जैन: सेनानी अमरचंद बांठिया (जैन)

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भारतवर्ष का प्रथम सशस्त्र स्वाधीनता संग्राम 1857 ई0 में प्रारम्भ हुआ था। इसे स्वाधीनता संग्राम की आधारशिला कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस संग्राम में जहाँ महारानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, मंगल पांडे आदि शहीदों ने अपनी कुर्बानी देकर आजादी का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं सहस्रों रईसों और साहूकारों ने अपनी तिजोरियों के मुंह खोलकर संग्राम को दृढता प्रदान की । तत्कालीन ग्वालियर राज्य के कोषाध्यक्ष अमर शहीद अमरचंद बांठिया ऐसे ही देशभक्त महापुरुषों में से थे, जिन्होंने 1857 के महामसर में क्रान्तिवीरों को संकट के समय आर्थिक सहायता देकर मुक्ति संघर्ष के इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया। अमरचंद बांठिया के पूर्वज बांठिया गोत्र के आदि पुरुष श्री जगदेव पंवार (परमार) क्षत्रिय ने 9-10वीं शताब्दी ( एक अन्य मतानुसार जगदेव के पुत्र या पौत्र माधव देव / माधवदास ने 12वीं शताब्दी) में जैनाचार्य भावदेव सूरि से प्रबोध पाकर जैन धर्म अंगीकार किया था और ओसवाल जाति में शामिल हुए थे। कुछ इतिहासकार विक्रम की 12 वीं शताब्दी में रणथम्भौर के राजा लालसिंह पँवार के पुत्रों द्वारा जैनाचार्य विजय बल्लभ सूरि से प्रतिबोध ...

भारत में मोटापे का बढ़ता हुआ आंकड़ा

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  भारत में मोटापे के बढ़ने के मुख्य कारण: कार्य और घरेलू समय के दौरान बैठने की अवधि में वृद्धि मोबाइल, पीसी और टीवी पर डिजिटल स्क्रीन समय का अत्यधिक बढ़ना दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को खरीदने के लिए ऑनलाइन और ई-कॉमर्स पर अत्यधिक निर्भरता खाद्य वितरण वेबसाइटों से भोजन मंगाने पर बहुत अधिक निर्भरता छोटे यात्रा दूरी के लिए साइकिल का उपयोग न करना पूरे दिन कारों और ऑटोमोबाइल का उपयोग करना जंक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का भारी सेवन करके अधिक कार्ब्स और कैलोरी का सेवन कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का बहुत अधिक सेवन पौधों आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रतिशत न खाना बहुत उच्च प्रतिशत शहरी भारतीयों का नियमित रूप से व्यायाम न करना भारतीयों द्वारा आटे (मैदा) से बने खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन हर खाद्य उत्पाद में शक्कर की उच्च मात्रा के कारण औसत शक्कर सेवन बहुत अधिक होना तेल में तला हुआ खाद्य पदार्थों का सेवन भी भारतीयों में बहुत अधिक है, जिससे मोटापा बढ़ रहा है बिंज ईटिंग और स्नैकिंग शहरी युवा भारतीयों के बीच एक खराब आदत बन गई है शराब का सेवन भारत भर में लगातार बढ़ रहा है भारत को दुनिय...

Rising obesity in India.

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  PRIMARY REASONS BEHIND RISING OBESITY IN INDIA:- Increase in sitting time during work and homely times Digital screen time increasing to high alarming levels on mobile, PC & TV High relaince on online and e-commerce for purchasing daily life essentials  Very high dependency on ordering food from food delivery websites Not cycling for short travel distances Using cars & automobiles throughout the day Consuming high amount of carbs & calories through heavy intake of junk & processed foods Drinking carbonated drinks in very large numbers Not consuming high % of Plant based food Very high % of urban Indian not exercising regularly Indians consume a lot of foods prepared from flour ( maida) Due to high high % of sugar in every food products, average consumption of sugar is very high Intake of refined oil fried foodsalso veryhigh among Indians. Leading to obesity. Binge eating & snacking is a terrible choice among young urban Indians Alcohol consumption is stea...

Jains in the Freedom Struggle: Freedom Fighter Fakirchand Jain

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  Freedom Fighter Fakirchand Jain Thousands of innocent people were killed in India's struggle for independence, and if truth be told, all of them were innocent. After all, demanding one's freedom is not a crime. Among these innocents was the 13-year-old immortal martyr Fakirchand Jain. Fakirchand was the nephew of the immortal martyr Lala Hukamchand Jain. Hukamchand Jain had played an important role in the First War of Independence of 1857. Hukamchand Jain was the Naib Tehsildar (Deputy Revenue Officer) of Hansi. He had a close relationship with Bahadur Shah Zafar, and he stayed in Zafar's court for seven years. Afterward, he returned to his hometown Hansi, where he resumed his duties as Naib Tehsildar. Hukamchand, along with Mirza Munir Beg, wrote a letter to Bahadur Shah Zafar, expressing hatred for the British and assuring him of full support in their struggle against them. When the British took control of Delhi, this letter was found in Bahadur Shah Zafar’s files. As ...

स्वतंत्रता संग्राम में जैन: सेनानी फकीरचंद जैन

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अमर शहीद फकीरचंद जैन भारतवर्ष के स्वातन्त्र्य समर में हजारों निरपराध मारे गये, और यदि सच कहा जाये तो सारे निरपराध ही मारे गये. आखिर अपनी आजादी की मांग करना कोई अपराध तो नहीं है। ऐसे ही निरपराधियों में थे 13 वर्षीय अमर शहीद फकीरचंद जैन । फकीरचंद अमर शहीद लाला हुकुमचंद जैन के भतीजे थे। हुकुमचंद जैन ने 1857 के प्रथम स्वाधीनता आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हुकुमचंद जैन हांसी के कानूनगो थे, बहादुरशाह जफर से उनके बहुत अच्छे सम्बन्ध थे, उनके दरबार में श्री जैन सात वर्ष रहे फिर हांसी (हरियाणा) के कानूनगो होकर आप अपने गृहनगर हांसी लौट आये। आपने मिर्जा मुनीर बेग के साथ एक पत्र बहादुरशाह जफर को लिखा, जिसमें अंग्रेजों के प्रति घृणा और उनके विरुद्ध संघर्ष में पूर्ण सहायता का विश्वास बहादुरशाह जफर को दिलाया था। जब दिल्ली पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया तब बहादुरशाह जफर की फाइलों में यह पत्र अंग्रेजों के हाथ लग गया। तत्काल हुकुमचंद जी को गिरफ्तार कर लिया गया, साथ में उनके भतीजे फकीरचंद को भी। 18 जनवरी 1858 को हिसार के मजिस्ट्रेट ने लाला हुकुमचंद और मिर्जा मुनीर बेग को फांसी की सजा सुना दी।...

HC calls for proposals to clear Khandagiri encroachments Year'2024

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  TIMES CITY Cuttack: Expressing concern over encroachments surrounding the historically significant Khandagiri ca- ves on the outskirts of Bhubaneswar, the Orissa high court on Monday summoned senior administrative, police and ASI officers to appear in person with their proposed schemes for removal of encroachments from the protected site. A two-judge bench of Chief Justice Chakradhari Sharan Singh and Justice Savitri Ratho summoned the dis- trict magistrate (Khurda). deputy commissioner of police (Bhubaneswar) and superintending archaeologist of Archaeological Survey of India (Bhubaneswar circle) to appear in person on Oct 8'24. "They shall be required to be personally present in court with their proposed schemes for removal of en- croachments from the pro- A petition was filed seeking judicial intervention against encroachments at the protected site. We expect them to hold a meeting to chalk out a plan to assist the court," the bench said. The directive was issued afte...

News: The encroachment issue of Girnar Ji Jain Tirth Kshetra was raised in Parliament.

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Date: 02/12/2024 On the issue of Girnar Ji Tirth Kshetra, Imran Masood, the Member of Parliament from Saharanpur, has given a notice to the Speaker of the Lok Sabha to take cognizance of this matter of public importance during Zero Hour. The notice has been accepted. The Leader of the Opposition in the Lok Sabha, Honorable Rahul Gandhi, is in agreement with this. "Honorable Speaker, Today, I would like to draw the attention of this House to an extremely important and sensitive issue. This is not only related to religious faith but also concerns the protection of the cultural heritage and rights of the minority Jain community. Honorable Speaker, the sacred Girnar Mountain, located in the Junagadh district of Gujarat, is the place where Lord Neminath, the 22nd Tirthankara of Jainism, attained Nirvana. This Nirvana place of Lord Neminath has been revered by Jain followers for centuries with faith and devotion. Today, there is an illegal occupation of this place. Historical texts su...

जैन संस्कृति- डिजिटल युग में फिल्म निर्माण की प्रासंगिकता

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  बीते कुछ दशकों तथा हाल के दस वर्षों से लेकर वर्तमान समय में वीडियो फिल्म्स या चलचित्र (फिल्म मूवी या सिनेमा) के द्वारा समाज के समक्ष विभिन्न धार्मिक सामाजिक राष्ट्र-हित विषयों का प्रचार-प्रसार करने का एक महत्वपूर्ण एवं सरल विकल्प और माध्यम के रूप में विकसित हुआ है| इक्कीसवीं सदी में मीडिया और फिल्म का सामाजिक प्रभाव अत्यंत गहरा एवं दूरगामी है| समाज में युवा एवं मध्यम आयु के वर्ग (जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करी) में पुस्तकों और ग्रंथों के पठन-पाठन की रुचि में निरंतर गिरावट देखी जा रही है| जैन अजैन दोनो ही वर्ग के धार्मिक एवं सामान्य परंतु शिक्षित अनुयाई आम पुस्तक ग्रंथ और शास्त्रों को पढ़ने में रुचि कम रखने लगे हैं| इंटरनेट एवं डिजिटल युग के आगमन के कारण यह वर्ग समस्त धार्मिक सांस्कृतिक शास्त्रीय सामग्री कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर ही पढ़ना देखना सुनना चाहता है| या फिर विभिन्न विषयों पर यूट्यूब विडियोज और वीडियो डॉक्यूमेंट्री देखना पसंद करते हैं| जिसे कभी भी कहीं भी देखा सुना जा सकता है और इसके लिए जिनालय या घर के एक उक्त स्थान में जाकर आसन पर बैठने की आवश्यकता भी नही...